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हेल्थ, मैन्युफैक्चरिंग से लेकर कृषि तक, AI कैसे ला रहा क्रांति?

स्वास्थ्य, मैन्युफैक्चरिंग और कृषि क्षेत्र में टेक्नोलॉजी की वजह से बड़ा बदलाव आ रहा है. इंडिया टुडे रोबोटिक्स और एआइ कॉन्क्लेव ने इस बदलाव के करीब से झलक दिखाई

इंडिया टुडे ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री तेलंगाना श्रीधर बाबू
अपडेटेड 2 दिसंबर , 2025

आप जानते हैं कि एक बायोनिक हाथ, जो इंसान के हाथ की तरह काम करता है, उसे बनाने में 113 तरह के पुर्जे लगते हैं? या कि भारत की फैक्ट्रियों में अब रोबोट एक ही असेंबली लाइन पर आठ कारें तैयार कर सकते हैं? या कि भारत के अस्पतालों में करीब 250 रोबोटिक सिस्टम सर्जरी में डॉक्टरों की मदद कर रहे हैं?

6 नवंबर को हैदराबाद में हुए इंडिया टुडे रोबोटिक्स और एआइ कॉन्क्लेव में ऐसे ही दिलचस्प इनोवेशन पर बात हुई, जहां नीति-निर्माताओं, वैज्ञानिकों और टेक एक्सपर्ट ने अपने विचार रखे कि कैसे यह तकनीक आने वाले वक्त में स्वास्थ्य, मैन्युफैक्चरिंग और खेती को बदल देगी.

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीनियर पार्टनर राजीव गुप्ता ने कहा, ''हम एक ऐसे दौर में दाखिल हो रहे हैं जहां हाइपर-स्पेशलाइजेशन हकीकत बन जाएगा.'' वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के मुताबिक, 2030 तक 7.8 करोड़ नई नौकरियां जुड़ेंगी, और गुप्ता के मुताबिक, इनके लिए वर्कफोर्स को तैयार करने का तरीका है कि एआइ को मौजूदा सिस्टम में शामिल किया जाए.

टेक व्हिस्परर के फाउंडर जसप्रीत बिंद्रा ने कहा, ''हर किसी को एआइ एक्सपर्ट बनने की जरूरत नहीं है, लेकिन एआइ को समझना अब उतना ही जरूरी है जितना कभी इंग्लिश सीखना प्रोफेशनल लाइफ के लिए जरूरी था.'' सत्यभामा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी के डॉ. जॉन ब्रूस ने कहा कि आने वाले वक्त में इंसानों और मशीनों के बीच एक नई तरह की साझेदारी बनेगी जो इस बदलाव को और आगे ले जाएगी.

तेलंगाना इस दिशा में सबसे आगे दिख रहा है. तेलंगाना के आईटी और इंडस्ट्रीज मंत्री डी. श्रीधर बाबू ने बताया कि राज्य के 65 इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट को रोबोटिक्स पर फोकस के साथ अपग्रेड किया जा रहा है. हेल्थ और मैन्युफैक्चरिंग दो ऐसे सेक्टर हैं जहां ये तकनीक पहले से असर दिखा रही है.

अपोलो हॉस्पिटल्स के डॉ. संजय अदला ने बताया कि रोबोट-असिस्टेड सर्जरी अब दूरदराज के इलाकों तक मेडिकल सर्विस पहुंचाने में मदद कर सकती है. वहीं हुंडई मोटर इंडिया के चीफ मैन्युफैक्चरिंग ऑफिसर, जी.एस. गोपालकृष्णन ने कहा कि ''डार्क फैक्ट्रियां'' यानी पूरी तरह रोबोट से चलने वाली यूनिट्स अब हकीकत बन रही हैं. दो भारतीय स्टार्टअप्स, मेकर्स हाइव (जो कम कीमत में कृत्रिम हाथ बनाता है) और हार्वेस्टेड रोबोटिक्स (जिसका लेजर खरपतवार मिटाने वाला ट्रैक्टर बना रहा है), इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

डिफेंस सेक्टर में भी ऑटोनॉमस सिस्टम्स का इस्तेमाल बढ़ रहा है. सेंटर फॉर एआइ ऐंड रोबोटिक्स, बेंगलूरू के डॉ. नारायण पाणिग्राही ने कहा, ''आने वाले कल में सबसे मुश्किल काम भी सिपाहियों के बजाए मशीनें करेंगी.'' सत्यभामा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. एल. लक्ष्मणन ने कहा कि जैसे-जैसे मशीनें और एडवांस होंगी, भरोसा और पारदर्शिता बहुत अहम होंगे. वहीं ऑल इंडिया रोबोटिक्स एसोसिएशन के चेयरमैन किशन पी.एस.वी. ने कहा कि सरकार को नीति, इंसेंटिव और रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट पर और ध्यान देना होगा. उन्होंने कहा, ''जहां एआइ लोगों की जिंदगी में बदलाव ला सकती है, बराबरी ला सकती है, असली असर दिखा सकती है, बतौर नीति-निर्माता वही मेरे लिए सबसे अहम है. हम इसी पर जोर देंगे.''

तेलंगाना के सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार मंत्री श्रीधर बाबू ने कहा, ''टाटा और तेलंगाना सरकार ने हमारे औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को आधुनिक बनाने और रोबोटिक्स को मुख्य विषय बनाने के लिए पैसा लगाया है.''

साथ ही उन्होंने कहा, ''जमीनी स्तर पर एआइ के इस्तेमाल से प्रोडक्टिविटी में 15-20 फीसद तक का इजाफा देखा जा रहा है, और एआइ का इस्तेमाल बढ़ने तथा सिस्टम बेहतर होने के साथ यह बढ़त 2030 तक 30-40 फीसद तक पहुंच सकती है.''

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीनियर पार्टनर राजीव गुप्ता ने कहा, ''कुछ नौकरियां जरूर खत्म हो रही हैं, लेकिन साथ ही एआइ से जुड़ी नई भूमिकाएं भी बन रही हैं, जैसे प्रॉम्प्ट इंजीनियर, एआइ सॉल्यूशंस इंजीनियर, एआइ ऑपरेशंस इंजीनियर.''

रोबोटिक्स में मानव केंद्रित इंटेलिजेंस: ऑटोमेशन से आगे

सत्यभामा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी के डॉ. एल. लक्ष्मणन ने कहा, ''एआइ इनोवेशन का अगला दौर सिर्फ मशीन ऑटोमेशन पर नहीं, बल्कि इंसानों की सोच और रचनात्मकता को बढ़ाने पर होना चाहिए. इसका मकसद लोगों को बेहतर फैसले लेने, जटिल समस्याएं सुलझाने और सहानुभूति दिखाने में सक्षम बनाना है, न कि इंसानों को मशीनों से रिप्लेस करना.''

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: नौकरियां बनाएगा या खत्म करेगा?

सत्यभामा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी के डॉ. जॉन ब्रूस ने कहा, ''डेटा एथिक्स, एल्गोरिद्म ऑडिटिंग, और एआइ-ड्रिवन प्रोडक्ट इनोवेशन जैसे सेक्टर में एआइ नई तरह की नौकरियों के दरवाजे खोल रहा है. अब ध्यान नौकरियों के खत्म होने से हटाकर उनके बदलने पर होना चाहिए.''

उन्होंने आगे कहा, ''एआइ के दौर में टिके रहने का एकमात्र तरीका है स्किल बढ़ाना. वर्कर्स और छात्रों को डिजिटल टूल्स, डेटा समझ, क्रिएटिविटी और क्रिटिकल थिंकिंग जैसी स्किल्स लगातार सीखनी होंगी.''
 

डिफेंस में अगला बड़ा बदलाव: वॉरफेयर में रोबोटिक्स

सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऐंड रोबोटिक्स, बेंगलूरू के साइंटिस्ट डॉ. नारायण पाणिग्राही, ''भविष्य के युद्धों में रोबोट-आधारित और ऑटोनॉमस सिस्टम्स का दबदबा होगा, यानी 'आर्मी ऑफ नन', जहां एआइ ही एआइ से लड़ेगा.''

साइंटिस्ट डॉ. नारायण पाणिग्राही के मुताबिक, ''एआइ जमीन, समंदर, हवा और पानी के नीचे चलने वाले प्लेटफॉर्म्स को लंबी दूरी और सटीक ऑपरेशन करने में सक्षम बना रहा है.''

सटीक इलाज: रोबोट-असिस्टेड हेल्थकेयर का नया दौर

अपोलो हॉस्पिटल्स के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. संजय अदला के मुताबिक, ''रोबोटिक सर्जरी हेल्थकेयर को लोकतांत्रिक बना सकती है, जहां डॉक्टर किसी भी जगह से मरीज का ऑपरेशन कर पाएंगे.'' 

रोबोटिक्स में रुझान: मैन्युफैक्चरिंग को इंटेलिजेंट, फ्लेक्सिबल और रिस्पॉन्सिव बनाना

हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड के पूर्णकालिक निदेशक गोपालकृष्णन सी.एस ने कहा, ''हुंडई में हमारा फोकस मैन्युफैक्चरिंग को ज्यादा लचीला, स्मार्ट और जिम्मेदार बनाने पर है. अब फ्लेक्सिबिलिटी कोई ऑप्शन नहीं, बल्कि जरूरत है.''

गोपालकृष्णन के मुताबिक, ''ग्राहक को अब नए-नए फीचर्स और हाइ-टेक प्रोडक्ट्स चाहिए. 2021 में कनेक्टेड कारों की हिस्सेदारी 14 फीसद थी, जो 2024 में बढ़कर 29 फीसद हो गई. हमारी सफलता इसी में है कि हम ग्राहकों की इन उम्मीदों को समझते हैं.''

उन्होंने आगे कहा, ''हम भविष्य में एक सॉफ्टवेयर-डिफाइंड फैक्ट्री बनना चाहते हैं, जहां हमारा ध्यान ऑटोमेशन में फ्लेक्सिबिलिटी और ह्यूमन-फ्रेंडली स्मार्ट सिस्टम्स लागू करने पर होगा.'' 

एआइ और प्रोडक्टिविटी का वादा

टेक व्हिस्परर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर और फाउंडर जसप्रीत बिंद्रा के मुताबिक, ''हम एआइ और रोबोटिक्स से शुरू हो रही एक इंटेलिजेंस रिवोल्यूशन के मुहाने पर खड़े हैं, जो 'बुद्धिमत्ता' को सबके लिए मुफ्त बना देगा और यही सब कुछ बदल देगा.'' 

''अब लिटरेसी का मतलब सिर्फ पढ़ना, लिखना या गणित नहीं रहेगा. अब इसमें यह भी शामिल होगा कि हम अपने काम और रोजमर्रा की जिंदगी में एआइ का कितना सहज और स्वाभाविक इस्तेमाल करते हैं.'' 

समाज के लिए अभूतपूर्व रोबोटिक्स इनोवेशन

हैदराबाद की स्टार्टअप मेकर्स हाइव ने कलार्म नाम का 3डी प्रिंटेड बायोनिक हैंड बनाया है, जिसका नाम पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है. इसके 31 वर्षीय फाउंडर प्रणव वेंपती और उनकी टीम ने इसे बनाने में साढ़े छह साल लगाए. आमतौर पर बायोनिक हाथ की कीमत 15 से 60 लाख रुपए तक होती है, लेकिन कलार्म भारत का पहला और दुनिया के सबसे सस्ते बायोनिक हाथों में से एक है, जिसकी कीमत 4.5 से 7.2 लाख रुपए के बीच है.

हैदराबाद की एक और स्टार्टअप हार्वेस्टेड रोबोटिक्स के को-फाउंडर राहुल अरेपका ने रक्षक नाम का एआइ-चलित लेजर वीडिंग मशीन बनाई है. भारत में खरपतवार खेती को भारी नुक्सान पहुंचाते हैं और इसे हटाने के पारंपरिक तरीके महंगे और नुक्सानदेह हैं. इसलिए राहुल और उनकी इंजीनियरिंग टीम ने 2022 में इस टूल पर काम शुरू किया और अब 5 करोड़ रुपए जुटाकर इसके पायलट और कॉमर्शियल डेवलपमेंट पर काम कर रहे हैं.

देश में रोबोट मैन्युफैक्चरिंग का सही ईकोसिस्टम बनाना

एन्वी रोबोटिक्स के किशन पी.एस.वी. के मुताबिक, ''फिलहाल रोबोट और उनके पुर्जों के लिए चीन पर काफी निर्भरता है. हमें ऐसी भारतीय कंपनियों की जरूरत है जो मोटर्स और चिप्स जैसी कोर टेक्नोलॉजी बनाने पर ध्यान दें.'' 

- अजय सुकुमारन

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