इस त्योहारी सीजन ने ऑटोमोटिव उद्योग पर खुशियों की बौछार कर दी है. वाहनों की रिकॉर्ड बिक्री में जिन कारकों ने योगदान दिया, उनमें थमी हुई मांग का निकलना, सितंबर में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती और शुभ माना जाने वाला त्योहारी सीजन शामिल है.
शादियों का सीजन (नवंबर-दिसंबर) शुरू होने के साथ ही वाहन निर्माताओं को लगातार मांग आने की उम्मीद है जो अगले साल जनवरी तक जारी रह सकती है.
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (एफएडीए या फाडा) ने 42 दिन के त्योहारी सीजन (22 सितंबर-2 नवंबर) के लिए आंकड़े जारी किए हैं जिनसे पता चलता है कि यात्री वाहनों (पीवी) की बिक्री में सालाना आधार पर 23.4 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. दोपहिया वाहनों की बिक्री में 22 फीसद का इजाफा हुआ है जबकि वाणिज्यिक वाहनों (सीवी) में 15 प्रतिशत की उछाल देखा गया है. (चार्ट देखें: पकड़ी तेज रफ्तार).
अगर अकेले अक्तूबर को ही लें तो उसमें भी ऊंची बिक्री हुई है और इस दौरान यात्री वाहनों में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 11.4 फीसद का इजाफा हुआ है. दोपहिया वाहनों में 51.8 फीसद की वृद्धि हुई जबकि कमर्शियल वाहनों में 17.7 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई. एसऐंडपी ग्लोबल मोबिलिटी में एसोसिएट डायरेक्टर गौरव वांगल कहते हैं, ''किसी त्योहारी सीजन में यह अब तक की सबसे अधिक बिक्री है जिसमें अक्तूबर में 5 लाख गाड़ियां बिक गईं. जीएसटी कटौती विशेष रूप से इस शुभ अवधि को ध्यान में रखकर की गई थी और इसका असर भी दिखा. अन्य कारक दबी हुई मांग का रहा... कई खरीदारों ने जीएसटी कटौती की उम्मीद में खरीदारी टाल दी थी.''
मारुति सुजुकी ने अक्तूबर में सबसे अधिक 2,39,000 गाड़ियां बेचीं, उसकी बाजार हिस्सेदारी 43 फीसद रही. इसके बाद टाटा मोटर्स ने 75,352 वाहन (13.5 फीसद) और महिंद्रा ने 67,918 गाड़ियां (12 फीसद) बेचीं. अक्तूबर में 9,94,000 दोपहिया बेचने वाली हीरो मोटोकॉर्प 31.5 फीसद हिस्सेदारी के साथ इस सेगमेंट में सबसे आगे रही, उसके बाद होंडा मोटरसाइकिल ऐंड स्कूटर इंडिया (8,22,000 वाहन और 26 फीसद हिस्सेदारी) और टीवीएस मोटर कंपनी (5,58,000 वाहनों के साथ 17.7 फीसद हिस्सेदारी) का नंबर रहा. बैंक ऑफ बड़ौदा के एक रिसर्च नोट में भी कहा गया है कि ''...इस विशेष (नवरात्र) अवधि के दौरान कुल ऑटो बिक्री की 60 फीसद से अधिक देखी गई, इससे ऑटो सेक्टर के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों को ध्यान में रखकर की गई जीएसटी दरों में कटौती का सकारात्मक असर जाहिर होता है.''
जीएसटी कटौती की जय हो
केंद्र ने मांग बढ़ाने और कर व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए सितंबर में जीएसटी को तर्कसंगत बनाने की घोषणा की. इसके तहत 5 और 18 फीसद का दो स्लैब वाला सिस्टम लागू किया गया और पहले से लागू 12 और 28 फीसद की अतिरिक्त दरें समाप्त कर दी गईं. इसके अलावा, पान मसाला, तंबाकू और एरिएटेड जैसी विलासिता और 'नुकसानदेह वस्तुओं' पर 40 फीसद कर लगाया गया. जीएसटी कटौती होने से छोटी कारों (4 मीटर से कम लंबाई और 1,200 सीसी से कम वाली पेट्रोल कारों या 1,500 सीसी से कम की डीजल कारों) पर कर अब 18 फीसद कर दिया गया है जो पहले 28 फीसद था. इसी प्रकार 350 सीसी तक की मोटरसाइकिलों पर जीएसटी 28 से घटाकर 18 फीसद किया गया है.
हालांकि जीएसटी पुनर्गठन की घोषणा सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में की थी, लेकिन नीतिगत घोषणा 4 सितंबर को हुई और संशोधित दरें 22 सितंबर से लागू हुईं. ऐसे में संभावित खरीदारों ने जीएसटी कटौती होने तक अपनी खरीदारी रोक दी, लिहाजा अक्तूबर में बिक्री में भारी उछाल आया. यात्री वाहनों की बिक्री में सितंबर की तुलना में 86 फीसद से अधिक की बढ़ोतरी देखी गई जबकि वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में लगभग 50 फीसद और दोपहिया में लगभग 145 फीसद का इजाफा हुआ. जीएसटी कटौती के असल असर का पता लगाने और यह देखने के लिए कि क्या इन बदलावों से वाकई खपत में फिर जान आ गई है, ऑटो क्षेत्र को लंबा इंतजार करना होगा, संभवत: अगली जनवरी के बाद.
फाडा का कहना है कि जीएसटी दरों में कटौती ने, खासतौर पर पहली बार दोपहिया और छोटी कार खरीदने वालों के लिए किफायत के कारक को बढ़ाया और उन्हें खरीदारी के लिए प्रोत्साहित किया. फाडा ने कहा कि ग्रामीण भारत विकास का इंजन बन गया, जिसमें बढ़िया मानसून, कृषि से उच्च आमदनी और बुनियादी ढांचे पर खर्च ने मदद की. फाडा के अध्यक्ष सीएस विघ्नेश्वर ने कहा, ''इस साल के अक्तूबर को भारत के ऑटो रिटेल के लिए उल्लेखनीय महीने के रूप में याद किया जाएगा, जिसमें सुधारों, त्योहारों और ग्रामीण बहाली ने मिलकर रिकॉर्ड तोड़ नतीजे दिए.
कुल मिलाकर खुदरा बिक्री में सालाना आधार पर 40.5 फीसद की मजबूत वृद्धि हुई, क्योंकि यात्री वाहनों और दोपहिया दोनों की अब तक की सर्वाधिक बिक्री हुई. इससे उपभोक्ता के नए विश्वास और मजबूत आर्थिक धारणा का संकेत मिलता है.'' देहात में यात्री वाहनों की बिक्री शहरी की तुलना में तीन गुना तेजी से बढ़ी जबकि गांवों में दोपहिया वाहनों की वृद्धि शहरी दर से लगभग दोगुनी रही, जिससे भारत के ऑटो सेक्टर के मांग परिदृश्य में ढांचागत बदलाव का संकेत मिलता है.
ईवी ने उत्साह नहीं दिखाया
इस बीच, दोपहिया वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की हिस्सेदारी अक्तूबर में लगभग आधी रह गई और यह 4.6 फीसद दर्ज की गई. महीने भर पहले सितंबर में यह 8 फीसद से अधिक और एक साल पहले 6.8 फीसद थी. ईवी कारों की बात करें तो हिस्सेदारी सितंबर में 5.1 से गिरकर अक्तूबर में 3.2 फीसद रह गई. हालांकि अक्तूबर 2024 की तुलना में यह 1 फीसद की मामूली बढ़ोतरी है. ईवी पर जीएसटी 5 फीसद पर बरकरार रखा गया है और विश्लेषकों का कहना है कि हो सकता है इससे ग्राहकों में सुस्ती दिखी हो.
आगे के परिदृश्य पर एसऐंडपी के वांगल का कहना है कि इसका असर नवंबर और दिसंबर तक जारी रहेगा. उन्होंने कहा, ''प्रीमियम वाहनों के प्रति रुझान जारी है, बाजार मारुति फ्रोंक्स और टाटा पंच जैसे कॉम्पैक्ट स्पोर्ट्स यूटिलिटी वाहनों (एसयूवी) की ओर बढ़ रहा है. आगे चलकर चार मीटर से कम वाली एसयूवी की बिक्री में बेहतर वृद्धि होगी.
ऑटो डीलरों को उम्मीद है कि शादी-ब्याह का मौसम, फसल कटाई की रकम और नए लॉन्च के कारण साल के अंत तक यह रफ्तार बरकरार रहेगी. पिछले साल नवंबर में 8 फीसद की गिरावट हुई थी, लेकिन इस नवंबर में डीलरों को बिक्री में बढ़ोतरी की उम्मीद है. आगे और भी नए मॉडलों की लॉन्चिंग, बेहतर वित्तीय स्थिति और ईंधन की स्थिर कीमतें निरंतर रफ्तार के लिए अनुकूल माहौल और मजबूत करेंगी.
देहात में यात्री वाहनों की बिक्री शहरों की तुलना में तीन गुना तेजी से बढ़ी, यह ऑटो सेक्टर की मांग के स्वरूप में ढांचागत बदलाव का संकेत है

