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बीजेपी सम्राट विक्रमादित्य को अपने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एजेंडे में कैसे फिट कर रही है?

ईसापूर्व पहली सदी के उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने एक संपूर्ण गणनायक के रूप में काम किया. शकों जैसे बाहरी आक्रांता कबीलों को हराया-भगाया. हिंदुस्तान को हिंदुस्तान बनाने का काम किया

महानाट्य के कलाकारों के साथ भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव और अन्य
महानाट्य के कलाकारों के साथ भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव और अन्य
अपडेटेड 23 मई , 2025

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने दिल्ली में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के सामने ठसक से अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है. उन्होंने जता दिया है कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के भगवा एजेंडे को बड़े और पॉपुलर कैनवस पर लाने के मामले में बतौर शासक उन्हें भी किसी से कम न समझा जाए. ईसापूर्व पहली सदी के उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य, जिनके नाम से विक्रम संवत् शुरू हुआ, पर इसी नाम से दिल्ली के लालकिले के सामने उन्होंने तीन दिन (12-14 अप्रैल) का महानाट्य करवाया.

इस आयोजन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय मंत्री और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा समेत केंद्र, मध्य प्रदेश और दिल्ली के बीसियों मंत्री, भाजपा, आरएसएस और आनुषंगिक संगठनों के सैकड़ों प्रमुख चेहरे शामिल थे. इससे पहले उज्जैन के अलावा इंदौर और हैदराबाद में इसके शो हुए थे. लेकिन दिल्ली में और लाल किले पर करवाने को लेकर मध्य प्रदेश और केंद्र के बीच अर्से से खतोकिताबत चल रही थी. लाल किले पर ही करवाने का एक खास प्रतीकात्मक अर्थ था जो स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री के भाषण वाले स्थल के पास ही आयोजन स्थल पर हजारों ब्रह्म ध्वज फहराए जाने से स्पष्ट था.

महाप्रतापी, शूरवीर, महावीर, आदर्श प्रशासक, न्यायप्रिय और सनातनधर्मी आदि विशेषणों से संबोधित विक्रमादित्य को इस पैमाने पर रेखांकित किए जाने के अपने संदर्भ हैं. महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक, मुख्यमंत्री के सांस्कृतिक सलाहकार और आयोजन के सूत्रधार श्रीराम तिवारी इसे स्पष्ट करते हैं: ''विक्रमादित्य की चिंता-चर्चा हम क्यों न करें! शिवाजी, महाराणा प्रताप और दूसरे योद्धाओं का एक सीमित क्षेत्र था. विक्रमादित्य ने एक संपूर्ण गणनायक के रूप में काम किया. हूण, शक जैसे आक्रांता कबीलों को हराया-भगाया. हिंदुस्तान को हिंदुस्तान बनाने का काम किया. कालिदास, भर्तृहरि उनके नवरत्नों में थे.''

नीरद सी. चौधरी और वी.एस. नायपॉल जैसे लेखकों के हिंदुस्तान को एरिया ऑफ डार्कनेस, जाहिलों, टोने-टोटके वालों का देश बताने का जिक्र करते हुए वे जोड़ते हैं: ''400-500 साल से हमारे गौरव और हमारी चेतना को वाशआउट करने की कोशिश की गई है. संविधान 26 नवंबर, 1949 ईस्वी (मिती मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी संवत 2006 विक्रमी) को अंगीकृत-आत्मार्पित किए जाने की बात उसकी प्रस्तावना में लिखी है. पर उसके बाद बनी कैलेंडर कमेटी ने ईस्वी सन और उस शक संवत को मंजूर किया, जिसे विक्रमादित्य के 135 साल बाद शकों ने फिर से हिंदुस्तान पर कब्जा करने की खुशी में शुरू किया.''

और कुछ मैसेज सूत्रधारों के संवाद में समाए हैं. विक्रमादित्य के हाथों अयोध्या में 84 खंभों वाले राम मंदिर के निर्माण और मीर बाकी द्वारा उसे ध्वस्त किए जाने के जिक्र के साथ वे कहते हैं कि वहां बने नए मंदिर का उद्घाटन 'माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा 22 जनवरी 2024 को किया गया...श्रीराम के अलौकिक दर्शन से मन मंत्रमुग्ध हो गया है...अब भगवान राम की पावन नगरी के दर्शन की प्रबल इच्छा है.''

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