साल 2004 में दिल मांगे मोर से हिंदी फिल्मों में अभिनय का सफर शुरू करने वाली सोहा अली खान ने किस्म-किस्म के किरदार अदा किए: ब्लैक ऐंड व्हाइट के जमाने की अभिनेत्री, अपने मंगेतर की अचानक मौत पर शोक मनाती अंतरराष्ट्रीय अध्ययन की छात्रा, वगैरह-वगैरह. फिल्म उद्योग की बंधी-बंधाई कल्पनाशक्ति की वजह से हो या ढर्रे की भूमिकाओं में बंधकर रह जाने का नतीजा.
खलनायिका की भूमिका कभी इस अदाकारा के हाथ नहीं लगी. अपनी इच्छाओं की फेहरिस्त में इस बक्से पर सही का निशान लगाने में दो दशक लगे. इसी महीने प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई डायरेक्टर विशाल फुरिया की फिल्म 'छोरी 2' (2021 की हॉरर फिल्म की सीक्वल) में सोहा ने खलनायिका भर होने से एक कदम आगे बढ़कर अपने करियर का सबसे डरावना किरदार अदा किया है.
जब इसकी स्क्रिप्ट उनके पास आई, सोहा छोरी देख चुकी थीं, जो एक गर्भवती मां (नुसरत भरूचा अभिनीत) के इर्द-गिर्द घूमती है जिसे अपने अजन्मे बच्चे को दुष्टात्माओं से बचाने का काम सौंपा गया है. फिल्म के तानेबाने में गुंथे सामाजिक संदेश के साथ 46 वर्षीया अदाकार के मन के तार जुड़ गए. सोहा बताती हैं, ''परिवेश में मौजूद हॉरर को लोककथाओं के साथ जिस तरह पिरोया गया है, उसने मुझे फिल्म की तरफ आकर्षित किया.’’
वे खुद मानती हैं कि धूर्त और चालाक दासी मां के किरदार से जुड़ने का फैसला लेने के लिए बहुत सोच-विचार की जरूरत नहीं थी. मदद इस बात से भी मिली कि सोहा हॉरर फिल्मों की जबरदस्त मुरीद हैं और फिल्म में उन्हें अदाकारा के तौर पर अपनी क्षमता को आजमाने का मौका नजर आया. पर उन्हें इस बात का अंदाजा न था कि दासी मां के रूप में उनका कायापलट शारीरिक तौर पर इतना भारी-भरकम साबित होगा.
छोरी 2 से सोहा छह साल बाद हिंदी फिल्म में वापसी कर रही हैं. मगर यह मील का पत्थर उनके लिए बहुत मायने रखता मालूम नहीं देता. उनके मुताबिक, वे ऐसी अदाकारा नहीं हैं जो साल में तीन-चार रिलीज की जरूरत अपने ऊपर ओढ़ लेती हो. ''मैं जिंदगी का और उसमें निभाई जाने वाली अपनी अलग-अलग भूमिकाओं का लुत्फ लेती हूं.’’
सोहा इस बात पर बहुत जोर देती हैं कि पेशेवर अदाकारा होना उनकी जिंदगी का महज एक हिस्सा है, न कि पूरी जिंदगी. वे कहती हैं, ''मैं जो कर रही हूं, अगर वह मुझे पसंद नहीं तो मैं नहीं करना चाहूंगी और किसी दूसरी चीज पर फोकस करूंगी. महज काम करने की खातिर काम करने की बजाए मेरे पास हमेशा करने के लिए दूसरी तमाम चीजें होती हैं.’’
वे 2017 में छपे अपने संस्मरण द पेरिल्स ऑफ बीइंग मॉडरेटली फेमस की तरफ इशारा कर रही हैं. वे बताती हैं कि उन्होंने कुछ करने की कोशिश में इसे लिखना शुरू किया था. उसके बाद के सालों में उन्होंने एक और बच्चों की किताब लिखी, उसे ऑडियोबुक में बदला, और फिलहाल एक पॉडकास्ट पर काम करने के साथ-साथ अभिनेता-निर्देशक पति कुणाल खेमू के साथ प्रोडक्शन प्रोजक्ट्सै में जुटी हैं.
यहां तक कि 2022 में दो वेबसीरीज 'हश हश' और कौन बनेगी शिखरवती के साथ डिजिटल दुनिया में कदम रखने का उनका फैसला इस बात से उपजा था कि बेटी के बड़े होने के साथ मातृत्व अब उतने की मांग नहीं करता. वे कहती हैं, ''हर किसी को शायद यह सुविधा न हो पर जिंदगी के इस मुकाम पर मैं खुशकिस्मत महसूस करती हूं कि मुझे अपने जुनून के लिए और जो मुझे उत्साहित करता है, उसके लिए काम करना होता है.’’
—पौलोमी दास