प्लास्टिक के बगैर भारत का गुजारा नहीं. आधुनिक अर्थव्यवस्थाएं इस बहुविध, टिकाऊ और हल्के वजन के पदार्थ में लिपटे तोहफे की तरह आती हैं
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