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झारखंड में क्यों हो रही BJP-JMM गठबंधन की चर्चा?

झारखंड में आमने-सामने के सख्त मुकाबले में BJP को हराकर सीएम हेमंत सोरेन दोबारा से कुर्सी पर काबिज हुए, अब एक बार फिर उन्हीं से गलबहियां करते दिख रहे हैं

9 जुलाई को BJP नेता बाबूलाल मरांडी ने दिल्ली में CM हेमंत सोरेन से मुलाकात की
अपडेटेड 1 सितंबर , 2025

कब बदलेगी सत्ता? सीएम हेमंत सोरेन आखिर एक महीने से ज्यादा समय से दिल्ली में बैठकर क्या कर रहे हैं? भाजपा हेमंत के प्रति नरम क्यों दिख रही है? सच में भाजपा और जेएमएम एक बार फिर सरकार बनाने जा रहे हैं?

ये कुछ सवाल हैं जो पूरे झारखंड में हर कोई एक दूसरे से पूछ रहा है. बीते आठ महीने से जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी की सरकार शांति से चल रही है. फिर ये सवाल क्यों तैरने लगे?

राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन की तबीयत अचानक ज्यादा खराब हुई. उन्हें 22 जून को दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया. ठीक तीन दिन बाद हेमंत पिता का हालचाल लेने दिल्ली पहुंचे. पूरी जुलाई हेमंत दिल्ली में रहे. इस दौरान दो बार कैबिनेट की बैठक और एक बार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में शामिल होने दिल्ली से रांची आए.

इन सवालों को बल यहीं से मिला. भाजपा के कई नेता इस दौरान शिबू सोरेन का हाल लेने दिल्ली पहुंचे और हेमंत से मिलते रहे. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. सिंह ने तो साफ कहा कि एक अच्छे बेटे की तरह हेमंत अपने पिता की सेवा कर रहे हैं. वहां शिबू सोरेन का हालचाल लेने पहुंचे एक कांग्रेस विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि जब हम पहुंचे तो सीएम की तरफ से हमें कोई खास तवज्जो नहीं मिली जबकि भाजपा के सांसदों, विधायकों के साथ वे घंटों बैठकर बात करते रहे.

नाम न छापने की शर्त पर ही भाजपा के एक नेता ने कहा कि हमें ऊपर से निर्देश है कि हेमंत सोरेन पर सीधा राजनैतिक हमला नहीं करना है. जरूरत पड़े तो सरकार की नीतिगत आलोचना करिए. आलम यह था कि बीती 24 जुलाई को कैबिनेट बैठक के दौरान हेमंत सरकार ने एक बड़ा फैसला किया. तय किया गया कि अटल मोहल्ला क्लिनिक को अब मदर टेरेसा एडवांस्ड हेल्थ क्लिनिक कहा जाएगा. अंदाजा था कि इस निर्णय से राज्य भर में भाजपा उबल उठेगी और सड़क पर उतर जाएगी. लेकिन बाबूलाल मरांडी, रघुबर दास सहित कुछ नेताओं के सोशल मीडिया पोस्ट और प्रेस कॉन्फ्रेंस के अलावा कुछ नहीं हुआ. 

वहीं, 23 जुलाई को शहरी विकास मंत्री सुदिव्य सोनू ने जे.पी. नड्डा से मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान जेएमएम सांसद विजय हांसदा और केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी मौजूद थीं. हालांकि सोनू ने बताया कि मुलाकात में राज्य के छह जिला अस्पतालों को पीपीपी मोड पर करने और मेडिकल कॉलेज में अपग्रेड पर चर्चा और सैद्धांतिक सहमति हुई. जब स्वास्थ्य मंत्री कांग्रेस नेता डॉ. इरफान अंसारी से इस पर सवाल किए गए तो वे झेंप गए और कुछ नहीं कहा.

इससे पहले 21 जुलाई को रेप की एक घटना से संबंधित ट्वीट बाबूलाल मरांडी ने किया. इस पर पुलिस को निर्देश देते हुए हेमंत ने ट्वीट किया, फिर हेमंत के ट्वीट को बाबूलाल ने रीट्वीट किया. ऐसा बीते छह साल में शायद पहली बार हुआ है. उधर, 22 जुलाई को गोड्डा में निशिकांत दुबे की पत्नी पर धोखाधड़ी का एक केस दर्ज होता है. भाजपा की प्रतिक्रिया तो आती है, लेकिन जेएमएम की तरफ से इसके काउंटर में कुछ खास नहीं कहा जाता.

असहज हो रहा गठबंधन
14 जुलाई को राहुल गांधी ने कांग्रेस के मंत्रियों, विधायकों के संग दिल्ली में बैठक की. बैठक में उन्होंने साफ कहा कि कांग्रेस पार्टी ने जनता से जो वादे किए हैं, उनको भी लागू करवाएं. इसमें सबसे महत्वपूर्ण था सात निश्चय के तहत 450 रुपए में गैस सिलेंडर की लुभावनी घोषणा. बीती 6 मई को मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस की विस्तारित कार्यकमिति बैठक में कहना पड़ा, ''मैंने हेमंत जी से साफ कहा है कि हमारे कार्यकर्ताओं को भी महसूस होना चाहिए कि उनकी सरकार है.'' यही नहीं, जिन मुद्दों को जेएमएम का कोर माना जाता है, उसे कांग्रेस अपनी ओर खींचने में लगी है. इसमें सरना धर्मकोड, पेसा नियमावली और एससी-ओबीसी के मुद्दों को लेकर आगे बढ़ने जैसे मुद्दे शामिल हैं.

23 जुलाई को शहरी विकास मंत्री सुदिव्य सोनू ने नड्डा से मुलाकात की. जेएमएम सांसद विजय हांसदा और केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी

जेएमएम को क्या फायदा?
जेएमएम की नजर अब राष्ट्रीय पार्टी बनने पर है. भाजपा उसे बिहार के अलावा, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में सीटें दे सकती है. इंडिया अलायंस में रहते बिहार में महज 10 सीट के लिए रार करनी पड़ रही है. 

दूसरी बात, हेमंत के लिए खुद को राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़ा आदिवासी नेता स्थापित करने का मौका है. अगर वे केंद्र में आदिवासी मामलों के मंत्री बनते हैं, तो वे खुद को देशभर के आदिवासियों को साधने में लगा सकते हैं. इधर राज्य में पत्नी कल्पना सोरेन को कमान देकर राज्य और देश की पहली महिला आदिवासी मुख्यमंत्री देने का श्रेय भी ले सकते हैं.

तीसरी बात, अगर तथाकथित तौर पर डबल इंजन की सरकार बनती है, तो अगले चार साल तक हेमंत सोरेन केंद्र की आर्थिक मदद से मईंया सम्मान योजना का 2,500 रुपए देने में सफल हो सकते हैं. ईडी वाले मामले को भी ठंडा रखा जा सकता है.

अगर ऐसा होता भी है तो क्या यह इतना सहज होगा? साल 2013 में जेएमएम एनडीए के साथ सरकार बना चुकी है. शिबू सोरेन के पूर्व प्रेस सलाहकार शफीक अंसारी कहते हैं, ''अब अगर जेएमएम भाजपा के साथ जाती है तो उसे आदिवासी वोटों के बिखराव का सामना करना ही होगा. अगर उसे राष्ट्रीय पार्टी बनना है, तो यह खुद के बूते करना होगा.'' 

वहीं अर्जुन मुंडा के सलाहकार रह चुके अयोध्यानाथ मिश्र कहते हैं, ''अगर बराबरी के भाव के साथ दोनों पार्टियां साथ आती हैं तो इसमें गलत कुछ भी नहीं. समान उद्देश्य के लिए किसी के साथ समझौता गलत नहीं होता है. भाजपा के साथ गठबंधन में एक स्टैबिलिटी रहती है.''

1 अगस्त से विधानसभा का मॉनसून सत्र शुरू हो चुका है. इस दौरान पेसा ऐक्ट को लागू करने संबंधित विधेयक भी पेश किया जाएगा. कांग्रेस और जेएमएम में क्रेडिट को लेकर होड़ मचेगी. ऐसे में सवाल है कि क्या हेमंत सोरेन के लिए यह इंडिया अलायंस छोड़ने का मंच तैयार करने जैसा होगा. बहरहाल जेएमएम ऐसे शिगूफों से कांग्रेस पर दबाव बनाने में सफल दिख रहा है. ब्यूरोक्रेट्स के बीच भाजपा की पूछ अचानक बढ़ गई है. लेकिन दांव अगर सही करवट नहीं बैठे तो संभावनाओं का हाथी दूसरे पाले में होगा और इधर हाथों में बस पूंछ ही रह जाएगी.

खास बातें
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भाजपा जेएमएम को बिहार के अलावा ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में सीटें दे सकती है.

> हेमंत सोरेन अगर केंद्र में आदिवासी मामलों के मंत्री बनते हैं, तो देशभर के आदिवासियों को साध सकते हैं.

> पत्नी कल्पना सोरेन को कमान देकर देश की पहली महिला आदिवासी मुख्यमंत्री देने का श्रेय भी ले सकते हैं.

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