इतिहास के लंबे-चौड़े विस्तार को देखते हुए पांच साल का अंतराल कुछ भी नहीं. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के सपनों की राजधानी अमरावती 2 मई को नियति के साथ अपने महामिलन की दोबारा शुरुआत करते हुए कल्पना के दायरे से निकलकर ईंट और गारे की हकीकत में आ गई.
22 अक्तूबर 2015 को उद्दंडरायुनिपलेम में इसकी आधारशिला रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर तैयार हैं, इस ग्रीनफील्ड राजधानी के निर्माण में हाथ लगाने के लिए. मार्च में राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (सीआरडीए) की बैठक की अध्यक्षता करते हुए नायडू ने कुल 37,702 करोड़ रुपए की 59 विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी.
अमरावती 2.0 की परिकल्पना 'अत्याधुनिक सुविधाओं, सुघड़ परिवहन व्यवस्था और हरित जगह से भरपूर स्मार्ट सिटी' के रूप में की गई है और इसके पहले चरण में 64,721 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा, जिसे पूरा करने के लिए 30 महीने की समय सीमा तय की गई. अपने अंतिम रूप में 217 वर्ग किलोमीटर में फैली नौ थीम सिटी और 27 टाउनशिप के साथ अमरावती को नौकरियों का सृजन करने वाले आर्थिक केंद्र और सैलानियों के आकर्षण के रूप में पेश किया गया है.
आधुनिक विधानसभा का इंतजार कीजिए, जो 103 एकड़ के इलाके में 11.2 लाख वर्ग फुट की 250 मीटर ऊंची इमारत होगी, जिसकी ऊपरी मंजिलें सत्र नहीं चलने के दौरान सैलानियों के लिए खुली होंगी. साथ ही, 17 लाख वर्ग फुट में फैला 47 मंजिला मुख्यमंत्री कार्यालय भी होगा, जिसमें सामान्य प्रशासन के दफ्तर होंगे. हाइकोर्ट 20.32 लाख वर्ग फुट में फैली आठ मंजिला और 55 मीटर ऊंची इमारत होगी, जो 42 एकड़ के अहाते में कानून की भव्यता का बखान कर रही होगी. और सचिवालय कैसा होगा?
जी हां, यह पांच गगनचुंबी इमारतों में बसा होगा! कुल 580 किमी लंबे चार नए राजमार्ग इस चहलपहल भरे केंद्र तक आने-जाने की सुविधा देंगे. तकनीकी समीक्षा में जिन 73 लंबित परियोजनाओं को मंजूरी दी गई, उनमें टीडीपी के संस्थापक एन.टी. रामराव की प्रतिमा, एक शानदार पुल और कृष्णा नदी के तटबंध पर सड़क शामिल हैं. ज्यादातर कामों को तीन साल में पूरा करने का मंसूबा है.
आ रही पूंजी अथाह
वित्त मंत्री पय्यावुला केशव का कहना है कि कुल 45,249.24 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली चार चरणों की इस परियोजना का बोझ राज्य के खजाने पर नहीं पड़ेगा. धन मोटे तौर पर उस 4,000 एकड़ जमीन से जुटाया जाएगा जिसे सरकार नीलाम करना चाहती है. इसके अलावा 15,000 करोड़ रुपए विश्व बैंक से उधार लिए जाएंगे, हुडको 11,000 करोड़ रु. देगा, और दूसरे बैंक 5,000 करोड़ रुपए देंगे.
नगरपालिका प्रशासन मंत्री पी. नारायण का कहना है कि पिछली टीडीपी सरकार के दौरान 2014-19 में सौंपे गए काम बाद में आई वाइएसआरसीपी की हुकूमत ने अधूरे छोड़ दिए, जिससे ठेकेदारों को वित्तीय नुक्सान हुआ. इस दरमियान मुख्यमंत्री रहे वाइ.एस. जगन मोहन रेड्डी तिहरी राजधानी का प्रस्ताव लेकर आए, जिसमें विशाखापत्तनम, कुरनूल और अमरावती प्रशासनिक, न्यायिक और विधायी केंद्र होने थे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस प्रस्ताव पर लगाम लगा दी.
उस दौर में उन किसानों को विरोध प्रदर्शन करते भी देखा गया जिन्होंने नायडू की जमीन जुटाने की भारी-भरकम कोशिश के लिए अपनी जमीन दी थी. करीब 33,000 एकड़ जमीन जुटाई गई थी और किसानों को नकदी के साथ-साथ भावी शहर में संपत्ति देने का वादा भी किया गया था. किसानों का 2 मई को मंच पर मोदी के हाथों सम्मान होगा. नारायण हर्षोल्लास के साथ 'दुनिया के पांच बेहतरीन शहरों में से एक' बनाने की भविष्यवाणी कर रहे हैं. इसका आधा भी साकार हो जाए तो किसी की खुशी की इंतहा नहीं होगी.
खास बातें
> अमरावती को रोजगार और पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां 9 थीम सिटी और 27 टाउनशिप बनाई जाएंगी.
> जल्द तैयार हो रहे: आधुनिक विधानसभा, हाइकोर्ट, मुख्यमंत्री कार्यालय, पांच गगनचुंबी इमारतों वाला सचिवालय और कई राजमार्ग.